Union Budget 2025: टैक्स में छूट से बढ़ेगी आम आदमी की बचत, 12 लाख तक की आय पर नहीं देना होगा टैक्स

Budget 2025

Budget 2025: टैक्स में छूट से बढ़ेगी आम आदमी की बचत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Budget 2025 में आम आदमी को बड़ी राहत दी है। नई कर व्यवस्था में ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। यह सीमा पहले ₹7 लाख थी।

Table of Contents

नई कर व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं:

  • ₹12 लाख तक की आय पर शून्य टैक्स
  • ₹24 लाख से अधिक आय पर 30% कर
  • मध्यम वर्ग के लिए बचत में वृद्धि
  • डिस्पोजेबल इनकम में बढ़ोतरी

इस टैक्स छूट से आम आदमी की जेब में अधिक पैसा बचेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगा। बढ़ी हुई बचत से:

  • म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ेगा
  • शेयर बाजार में नई भागीदारी
  • बीमा क्षेत्र में वृद्धि
  • घरेलू बचत दर में सुधार

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, रिटेल निवेशकों की संख्या दिसंबर तक 132 मिलियन तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2020 में 49 मिलियन था। यह नई कर व्यवस्था पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहित करेगी और अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

यूनियन Budget 2025 की मुख्य बातें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किए गए यूनियन बजट 2025 में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। बजट की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर 7.5% रहने का अनुमान

दिसंबर 2024 तक रिटेल निवेशकों की संख्या बढ़कर 13.2 करोड़ हो गई

कुल म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या 22.5 करोड़ तक पहुंची

मासिक एसआईपी योगदान वित्त वर्ष 22 के ₹0.10 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में ₹0.23 लाख करोड़ हुआ

आर्थिक सर्वेक्षण से प्राप्त महत्वपूर्ण आंकड़े:

  • बचत-से-जीडीपी अनुपात 30% तक पहुंचा
  • वित्तीय बाजारों में खुदरा भागीदारी में वृद्धि
  • म्यूचुअल फंड में रिटेल निवेशकों की होल्डिंग ₹18.6 लाख करोड़
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा जनवरी 2025 में ₹72,676 करोड़ की बिकवाली

बजट में विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन और हाशिए पर रहे वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को जारी रखा गया है।

आयकर छूट सीमा और स्लैब्स में बदलाव

नई आयकर व्यवस्था में करदाताओं को बड़ी राहत मिली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर छूट सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया है। यह बदलाव मध्यम वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

नई आयकर छूट सीमा के प्रमुख बिंदु:

  • ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं
  • ₹12-15 लाख की आय पर 10% कर
  • ₹15-18 लाख पर 15% कर
  • ₹18-21 लाख पर 20% कर
  • ₹24 लाख से अधिक आय पर 30% कर

नई व्यवस्था में उच्च आय वर्ग पर भी प्रभाव पड़ेगा। पहले ₹15 लाख से अधिक आय पर 30% कर लगता था, अब यह सीमा बढ़कर ₹24 लाख हो गई है। इससे ₹15-24 लाख की आय वाले करदाताओं को भी राहत मिलेगी।

आयकर छूट सीमा बढ़ाने के कारण:

  • बढ़ती महंगाई से राहत
  • मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति में वृद्धि
  • बचत को प्रोत्साहन
  • अर्थव्यवस्था में निवेश को बढ़ावा

नई आयकर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा भी मिलेगी। वेतनभोगी करदाताओं को ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। इसके अलावा, नई व्यवस्था में कई छूट और कटौतियां भी उपलब्ध हैं।

डीआर चोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी के अनुसार, इस कदम से जीडीपी में बचत का अनुपात 30% तक पहुंच जाएगा। इससे म्यूचुअल फंड, बीमा और अन्य वित्तीय उत्पादों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

मध्यवर्गीय करदाताओं को मिली राहत

बजट 2025 में मध्यवर्गीय करदाताओं के लिए कई महत्वपूर्ण राहत के प्रावधान किए गए हैं:

  • डिस्पोजेबल इनकम में वृद्धि: नई कर व्यवस्था में ₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा, जिससे मध्यम वर्ग के हाथों में अधिक पैसा बचेगा
  • निवेश के नए अवसर: बढ़ी हुई बचत का उपयोग:
  • म्यूचुअल फंड में निवेश
  • शेयर बाजार में सीधा निवेश
  • बीमा योजनाओं में निवेश

वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को कई तरह से लाभान्वित करेगा:

डीआर चोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक के अनुसार, बचत-से-जीडीपी अनुपात 30% तक पहुंचने से वित्तीय बाजारों में भागीदारी बढ़ेगी। यह मध्यम वर्ग को अपनी बचत का बेहतर प्रबंधन करने और भविष्य के लिए मजबूत वित्तीय योजना बनाने में सक्षम बनाएगा।

Budget 2025 के बाद स्टॉक मार्केट की स्थिति

स्टॉक मार्केट ने बजट 2025 के प्रस्तावों पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। Nifty 50 इंडेक्स में सितंबर के 26,270 के शिखर से 10.6% की गिरावट दर्ज की गई है। मार्केट विशेषज्ञों के अनुसार यह गिरावट विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली का परिणाम है। संस्थागत निवेशक जैसे FIIs, जो जनवरी 2025 में ₹72,676 करोड़ की भारतीय शेयरों की बिक्री कर चुके हैं, मार्केट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हालांकि, रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी ने मार्केट को स्थिरता प्रदान की है:

  • रिटेल निवेशकों की संख्या दिसंबर तक 132 मिलियन तक पहुंच गई
  • मासिक SIP योगदान तीन वर्षों में दोगुना होकर ₹0.23 लाख करोड़ हो गया
  • म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या 22.5 करोड़ तक पहुंची

डीआर चोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी के अनुमान के अनुसार, बचत-से-जीडीपी अनुपात 30% तक बढ़ने से वित्तीय बाजारों में भागीदारी बढ़ेगी। इससे म्यूचुअल फंड, बीमा और शेयर निवेश मजबूत होंगे।

बजट दिवस पर बेंचमार्क इंडेक्स में उतार-चढ़ाव देखा गया। BSE सेंसेक्स 77,506 पर और Nifty 23,482.15 पर बंद हुआ।

खुदरा निवेशकों की संख्या में वृद्धि और म्यूचुअल फंड प्रदर्शन

भारतीय पूंजी बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार:

  • दिसंबर 2024 तक खुदरा निवेशकों की संख्या 132 मिलियन तक पहुंच गई
  • वित्त वर्ष 2020 में यह संख्या मात्र 49 मिलियन थी

Mutual fund में निवेश की स्थिति:

  • मासिक SIP योगदान में दोगुनी वृद्धि
  • वित्त वर्ष 2022: ₹0.10 लाख करोड़
  • वित्त वर्ष 2025: ₹0.23 लाख करोड़

खुदरा निवेशकों का म्यूचुअल फंड में विश्वास:

  • कुल म्यूचुअल फंड होल्डिंग: ₹18.6 लाख करोड़
  • फोलियो की संख्या में वृद्धि:
  • वित्त वर्ष 2024: 17.8 करोड़
  • दिसंबर 2024: 22.5 करोड़

डेवेन चोकसी, DRChoksey FinServ के प्रबंध निदेशक के अनुसार, GDP में बचत का अनुपात 30% तक पहुंचने से वित्तीय बाजारों में भागीदारी बढ़ेगी। अनुमान है कि बढ़ी हुई बचत का 40% वित्तीय संपत्तियों में निवेश किया जाएगा, जिससे पूंजी बाजार में तरलता और मजबूती आएगी।

SIP योगदान में वृद्धि और उसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

भारतीय अर्थव्यवस्था में SIP योगदान की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। वित्तीय वर्ष 2022 में जहां मासिक SIP योगदान ₹0.10 लाख करोड़ था, वह वित्तीय वर्ष 2025 में बढ़कर ₹0.23 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।

SIP योगदान में वृद्धि के प्रमुख कारण:

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

बजट 2025 में की गई घोषणाओं से SIP योगदान में और वृद्धि की संभावना है। डेवेन चोकसे, डीआर चोकसे फिनसर्व के प्रबंध निदेशक के अनुसार, अतिरिक्त बचत का 40% वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश किया जाएगा। यह म्यूचुअल फंड, बीमा और शेयर बाजार में निवेश को मजबूत करेगा।

Budget 2025 के दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण

बजट 2025 की नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान करेंगी। टैक्स छूट सीमा में वृद्धि से मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ने की संभावना है।

प्रमुख प्रभाव:

  • रिटेल निवेशकों की संख्या में वृद्धि
  • पूंजी बाजार में स्थिरता
  • घरेलू बचत दर में सुधार

वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, नई कर व्यवस्था से:

  • म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ेगा
  • शेयर बाजार में स्थानीय निवेशकों की भागीदारी मजबूत होगी
  • बैंकिंग और बीमा क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा

भविष्य में सरकार को निम्न क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा:

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करना
  • रोजगार सृजन को प्राथमिकता
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधार

विशेषज्ञों का मानना है कि ये नीतिगत बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

Also read : Budget 2025 के बाद कैसा रहा Share बाजार ? 

FAQs

बजट 2025 में टैक्स में छूट का महत्व क्या है?

बजट 2025 में टैक्स में छूट आम आदमी की बचत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह छूट मध्यम वर्ग को अधिक डिस्पोजेबल इनकम प्रदान करेगी, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकेंगे।

यूनियन बजट 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

यूनियन बजट 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें आर्थिक सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है। यह बजट विकास, रोजगार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।

आयकर छूट सीमा और स्लैब्स में क्या बदलाव हुए हैं?

बजट 2025 के अंतर्गत आयकर छूट सीमा को ₹12 लाख तक बढ़ा दिया गया है, जिसका अर्थ है कि इस सीमा तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नई आयकर व्यवस्था के तहत उच्च आय वर्ग पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

मध्यवर्गीय करदाताओं को बजट 2025 से क्या राहत मिली है?

बजट 2025 में मध्यवर्गीय करदाताओं के लिए कई राहत उपाय पेश किए गए हैं, जिससे उनकी डिस्पोजेबल इनकम में वृद्धि होगी। यह उन्हें अपने खर्चों और बचत की योजना बनाने में मदद करेगा।

बजट 2025 के बाद स्टॉक मार्केट की स्थिति कैसी है?

बजट 2025 के बाद स्टॉक मार्केट ने मिश्रित प्रतिक्रिया दिखाई है। Nifty 50 इंडेक्स में गिरावट देखी गई, लेकिन सुधार की संभावनाएँ भी बनी हुई हैं। निवेशकों की धारणा पर बजट के प्रभाव का गहरा असर पड़ा है।

खुदरा निवेशकों की संख्या में वृद्धि का क्या मतलब है?

बजट 2025 के बाद खुदरा निवेशकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जो म्यूचुअल फंड प्रदर्शन को भी प्रभावित कर रही है। यह संकेत करता है कि लोग अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं, जिससे बाजार में स्थिरता आएगी।

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